“अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस” के अवसर पर मेरी बेटी और समस्त बेटियों को समर्पित मेरी यह कविता,” आगमन तुम्हारा मेरी नन्ही परी”

“आगमन तुम्हारा मेरी नन्ही परी”

मेरी नन्ही सी गुड़िया, मेरी प्यारी सी चिड़िया,
मेरे दिल के आंगन में चहकती फुदकती।
तुम्हारे आने के एहसास से ही,
असंख्य दिए मन मंदिर में जल उठे।
मेरी तमन्नाओं को सुनहरे पंख देकर,
स्वर्णिम सपनों के रथ में सवार,
अनगिनत फूल दिल की वादियों में खिल उठे।

तुम्हारे आने की खुशी में,
मैं रेशम से नरम ख्वाब बुनने लगी।
मेरे दिल की धड़कन से,
नन्हीं सी धड़कन जुड़ने लगी।
तुम्हारी मीठी सी हलचल,मेरा संगीत बनने लगी।
तुम्हारा हर स्पंदन,गरमी के मौसम की,
ठंडी फुहार लगने लगी।

मेरी बेकरारी का आलम अब खत्म हुआ,
मेरे दिल की गहराइयों में वह पल कैद हुआ।
इस पल को हर दिन ख्वाबों में जिया था मैंने,
आ ही गया वह सुखद पल जब, बाहों में तुम्हें लिया था मैंने।

वो हिरनी सी आंखें सुंदर गोरा सा चेहरा,
कोमल गुलाबी गालों पर नन्ही लटों का पहरा।
नन्हे सुकोमल हाथों से पकड़ी थी तुमने मेरी उंगली,
मन को आनंदित कर गई ,मैं सारे जहां को भूली।

तुम्हारी वह पहली मुस्कान, रोना, गोद में लेना,
एक अनूठा एहसास था।
तुम्हारे मखमली पैरों का स्पर्श एक सुखद एहसास था।
सब कुछ नया था ,एक हसीन सपना सा था।
मैं इन हसीन लम्हों को पिरो कर रखूंगी,
खुशनुमा पलों को संजो कर रखूंगी।
मेरी बुलबुल ,मेरी नन्ही परी,
मैं तुमको पाकर धन्य हुई।
मातृत्व को सार्थक कराया है तुमने,
तुमको पाकर मेरी हर आस पूरी हुई।

नीता चमोला

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